अमेरिका की नौकरी छोड़ पत्नी के साथ शुरू किया फूड ट्रक, अब सालाना डेढ़ करोड़ का टर्नओवर

सत्या और ज्योति यूएस में रहते थे। सत्या वहां ई-कॉमर्स सेक्टर में नौकरी कर रहे थे। उनकी पत्नी ज्योति भी जॉब में थीं। कुछ साल बाद दोनों भारत वापस आ गए। उनका इरादा अपना फूड बिजनेस शुरू करने का था। दोनों ने शुरूआत किसी होटल या रेस्टोरेंट से करने के बजाय एक फूड ट्रक से की। आज उनके पास तीन फूड ट्रक हैं। सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ पहुंच चुका है। बीस लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं। सत्या ने अपने बिजनेस की कहानी भास्कर से शेयर की।

मास्टर्स करने यूएस गए, वहीं सीखा वैल्यू ऑफ मनी

सत्या कहते हैं- इंजीनियरिंग के बाद मैं मास्टर्स करने यूएस गया था। पढ़ाई के खर्चे के लिए कुछ लोन लिया था। लोन चुकाने के लिए मैंने पार्ट टाइम जॉब किया। यूएस में अपना सारा काम खुद ही करना होता है। न पैरेंट्स होते हैं, न रिश्तेदार। यही वह चीज होती है, जिससे हम जिदंगी को समझते हैं। वैल्यू ऑफ मनी को समझते हैं।

पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब करते हुए मैं ये सब सीख रहा था। फिर ई-कॉमर्स सेक्टर में जॉब करने लगा। वहीं ज्योति से मुलाकात हुई और 2008 में हमारी शादी हो गई। शादी के बाद हम भारत वापस आ गए। ज्योति के पिता बिजनेसमैन हैं। वे लॉजिस्टिक सेक्टर में काम करते हैं, इसलिए ज्योति को ट्रांसपोर्ट, बस-ट्रक की अच्छी समझ थी।

एक फूड ट्रक से शुरू हुआ सत्या का बिजनेस अब तीन फूड ट्रक तक पहुंच गया है।

ऑफिस के पास कोई दुकान नहीं थी, वहीं से आया आइडिया

भारत आने के बाद ज्योति जिस कंपनी में काम कर रहीं थीं, उसका ऑफिस ओखला में था। वहां आस-पास खाने-पीने की कोई शॉप नहीं थी। साउथ इंडियन खाना तो दूर-दूर तक नहीं मिलता था। ये देखकर ज्योति ने सोच लिया था कि जब भी काम शुरू करेंगे, यहीं से करेंगे। काफी रिसर्च करने के बाद हमने सोचा कि अपना फूड ट्रक शुरू करते हैं। क्योंकि, न इसमें ज्यादा इंवेस्टमेंट था और न बहुत बड़ी रिस्क थी। यह भी पहले ही सोच रखा था कि साउथ इंडियन फूड ही रखेंगे।

2012 में हमने एक्सपेरिमेंट के तौर पर पहला फूड ट्रक शुरू किया। एक सेकंड हैंड ट्रक खरीदा। अंदर से उसे बनवाया। अखबारों में विज्ञापन देकर एक अच्छा शेफ खोजा और काम शुरू कर दिया। ओखला में ही फूड ट्रक लगाया। उसमें साउथ इंडियन फूड ही रखा। पहले दिन से ही हमारा बिजनेस अच्छा चलने लगा। हमने जहां ट्रक लगाया था, वहां ज्यादातर ऑफिस थे। लोग खाने-पीने आया करते थे। लेकिन, दो महीने बाद बिजनेस एकदम से कम हो गया। कुछ ऑफिस बंद हो गए थे। कुछ लोग नौकरी छोड़कर चले गए थे।

किसान आंदोलन की ग्राउंड रिपोर्ट:किसानों को रोकने के लिए नक्सलियों जैसी रणनीति अपना रही पुलिस, कई जगह सड़कें खोद डालीं

समझ नहीं पा रहे थे कि ग्राहकों को कैसे जोड़ें
बिजनेस घट जाने के बाद हम समझ नहीं पा रहे थे कि नए ग्राहक कैसे जोड़ें। उस दौरान मैं जॉब कर रहा था, जबकि ज्योति जॉब छोड़कर फुलटाइम बिजनेस पर ध्यान दे रहीं थीं। हमारे मेंटर एसएल गणपति ने सलाह दी, 'तुम्हारा कोई होटल या रेस्टोरेंट तो है नहीं। तुम्हारा फूड ट्रक है। अगर ग्राहक तुम्हारे पास नहीं आ रहे, तो तुम ग्राहकों के पास जाओ।' उनकी एडवाइज के बाद हम एक संडे को उनके ही अपार्टमेंट में फूड ट्रक लेकर पहुंच गए। तीन घंटे में ही हमारा सारा सामान बिक गया।

अब हम समझ गए थे कि कैसे लोगों को अपने प्रोडक्ट से जोड़ना है। हमने और कई स्ट्रेटजी भी अपनाईं। मैं यहां उन्हें डिसक्लोज नहीं करना चाहता। हम अपने फूड ट्रक में घर जैसा टेस्टी खाना दे रहे थे। इसमें रवा डोसा, टमाटर प्याज उत्तपम, मेदुवडा, फिल्टर कॉफी, मालाबार पराठा जैसे आयटम शामिल थे। यह दिल्ली में आसानी से नहीं मिलते थे। हमारी इसमें स्पेशलिटी थी, क्योंकि हम साउथ इंडियन ही हैं।

सत्या की कंपनी कॉरपोरेट्स को भी सर्विस देती है। वे कहते हैं- हम 30 लोगों की पार्टी में सर्विस देते हैं और 500 लोगों की भी।

सत्या ने बिजनेस ग्रोथ के लिए नौकरी छोड़ी

सत्या ने बताया- 2012 से 2014 तक हमारा बिजनेस ठीक-ठाक चला। घरवाले भी इसमें इन्वॉल्व हो चुके थे। 2014 में मैंने भी जॉब छोड़ दी, क्योंकि बिजनेस को ग्रोथ देने के लिए ज्यादा टाइम देना जरूरी थी। 2014 में ही हमने एक फूड ट्रक और खरीद लिया। अब हमारे पास दो गाड़ियां हो चुकी थीं। हमने बिजनेस के लिए नए एरिया भी एक्सप्लोर किए। जैसे, दिल्ली में केटरर बड़ी पार्टियों के ऑर्डर तो ले रहे थे, लेकिन छोटी पार्टियों के ऑर्डर कोई नहीं लेता था। हमने 30 लोगों तक की पार्टी वाले ऑर्डर भी लेना शुरू कर दिए। इससे हमारा कस्टमर बेस भी बढ़ा और अर्निंग भी बढ़ी। धीरे-धीरे शादियों में और कॉरपोरेट्स में भी सर्विस देने लगे।

अब हमारे तीन फूड ट्रक हो चुके हैं। हम 20 लोगों को नौकरी दे रहे हैं। दिल्ली के साथ ही गुड़गांव तक सर्विस दे रहे हैं। जल्द ही नोएडा तक अपना काम फैलाने वाले हैं। आखिरी फाइनेंशियल ईयर में टर्नओवर डेढ़ करोड़ पहुंच गया था। लॉकडाउन में जब लोग बाहर के खाने से डर रहे थे, तब हमने स्नैक्स के ऑर्डर लेना शुरू किए। पैकिंग करके इनकी डिलेवरी की।

सत्या ने कहा- जो भी बिजनेस में आना चाहते हैं, वे याद रखें कि शुरूआत में कई बार कामयाबी नहीं मिलती। इससे घबराकर काम करना न छोड़ें। बल्कि जो सोचा है, उसके पीछे लगे रहें। आपको सक्सेस जरूर मिलेगी।

आज की पॉजिटिव खबर:पुरानी किताबों और फर्नीचर से बनाई लाइब्रेरी, यहां किताबों के साथ इंटरनेट भी मुफ्त मिलता है

आज की पॉजिटिव खबर:ब्रेड बेचने वाले विकास ने कैसे खड़ी की करोड़ों की कंपनी, 9 साल की उम्र से पैसा कमाना शुरू कर दिया था

आज की पॉजिटिव खबर:गन्ने की खेती में फायदा नहीं हुआ तो लीची और अमरूद की बागवानी शुरू की, सालाना 25 लाख रु. कमा रहे

आज की पॉजिटिव खबर:यूट्यूब से सीखी एरोबिक्स की ट्रेनिंग, मां-बहन थीं पहली क्लाइंट, अब कमाती हैं लाख रुपए महीना



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
यूएस में जॉब के दौरान सत्या और ज्योति ने अपना बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा था। फूड ट्रक का आइडिया ज्योति का था।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Vdqilq
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

IPL 2024 Points Table: SRH Gain Two Spots With Win, CSK Are At...

RCB vs CSK Now Straight Shootout For IPL Playoffs. Lara Picks Favourite

Imran Tahir Becomes Fourth Player Ever To Claim 500 wickets In T20 Cricket