Skip to main content

साइंस की दो रिसर्च कहती हैं कि परिवार में बेटी के जन्म लेने से पिता की उम्र 74 हफ्तों तक बढ़ जाती है, बिटिया साथ रहने से पूरा परिवार खुश रहता है

आज डॉटर्स डे है। साल में बेटियों के नाम एक दिन जो सितंबर के आखिरी इतवार को मनाया जाने लगा है। इस बार लॉकडाउन ने पूरे परिवार को प्रभावित किया। खासतौर पर बेटियों को बहुत ज्यादा। बेटियां घर की जान और शान होती हैं और उतनी संवदेनशील भी। इसी कारण घर की हर छोटी-बड़ी बात सबसे पहले समझ जाती हैं।

लॉकडाउन के दौरान बीस साल की मीना के पिता की नौकरी छूट गई। घर में अपने दो छोटे भाई-बहनों और माता-पिता के साथ रहने वाली मीना से जब घर के तंग हालात देखे नहीं गए तो उसने मास्क सिलना शुरू किए। उसने घर के आस-पड़ोस में ये मास्क बाजार से कम कीमत में दिए।

इस तरह मास्क बेचकर मिले पैसों से घर का खर्च चल पाया। जब लॉकडाउन खुला तो मीना ने मार्केट की कुछ दुकानों पर ले जाकर मास्क बेचने की शुरूआत की। आज मीना न सिर्फ घर का खर्च चला रही है, बल्कि अपने छोटे बहन-भाईयों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही है।

मास्क बनाकर मीना जैसी कई बेटियों ने लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार की आर्थिक मदद की है।

पिछले कुछ सालों में भारतीय समाज में बेटियों को लेकर लोगों की मानसिकता में तेजी से बदलाव आया है। परिवार के बड़े फैसले उनकी मर्जी से लिए जाने लगे हैं। घर की आर्थिक स्थिति सुधारने में उनकी भूमिका अहम रही है। इन बेटियों ने अपनी मेहनत और हौसले के दम पर देश और दुनिया में कामयाबी हासिल की है। आज डॉटर्स डे के अवसर पर बात करें उस रिसर्च की जिससे ये पता चलता है कि परिवार में पिता की खुशियां बेटियों की वजह से किस तरह बढ़ती हैं:

पिता हमेशा खुद को बेटियों के साथ ज्यादा खुशहाल महसूस करते हैं।

पहली रिसर्च: बेटी के जन्म लेने से पिता की उम्र लगभग 74 सप्ताह बढ़ जाती है

पौलेंड की जेगीलोनियन यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च में ये दावा किया कि बेटी के जन्म लेने से पिता की उम्र लगभग 74 सप्ताह तक बढ़ जाती है, जबकि बेटे के जन्म लेने पर ऐसा कोई बदलाव नहीं होता है। इस रिसर्च में प्रेग्नेंसी के दौरान यह भी देखा गया कि पिता और बेटी का रिश्ता जन्म से पहले ही मां से ज्यादा मजबूत होता है।

यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पिता और बेटी के रिश्ते से जुड़े शोध में लगभग 4310 लोगों को शामिल किया। जिसमें 2147 मां और 2163 पिता थे।

अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी के अध्ययन में ये सामने आया कि बेटी के पैदा होने से पिता को भले ही फायदा होता हो, लेकिन मां के लिए ऐसा नहीं होता है। वहीं इस रिसर्च में ये भी पाया गया कि बेटी के घर में होने पर पिता की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

मां के साथ बेटियों की बेहतर बॉन्डिंग उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करती है।

दूसरी रिसर्च: पिता बेटों के बजाय बेटियों के साथ ज्यादा खुश रहते हैं
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन जर्नल बिहेवियरल न्यूरो साइंस में प्रकाशित स्टडी के अनुसार जब एक बेटी अपने पिता के साथ होती है तो उनके ब्रेन के सिग्नल बेटे के साथ होने की तुलना में बिल्कुल अलग होते हैं। बेटियों की छोटी-छोटी बातें उन्हीं खुशियां देती है और वे खुद बेटियों के प्रति ज्यादा जिम्मेदार बन जाते हैं। पिता बेटों के बजाय बेटियों के सामने अपनी भावनाएं ज्यादा अच्छी तरह व्यक्त कर पाते हैं।

शोधकर्ताओं ने बेटियों का पिता के साथ बर्ताव देखने के लिए उनके दिमाग की एमआरआई भी की। ब्रेन स्कैनिंग के परिणाम से यह पता चला कि पिता बेटों के बजाय बेटियों के साथ ज्यादा खुश रहते हैं। वे खुद को बेटियों के ज्यादा करीब पाते हैं।

साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक बेटियों ने परिवार के सपोर्ट और अपनी मेहनत के बल पर समाज में एक खास मुकाम हासिल किया है।

हरियाणा के साइकोलॉजिस्ट डॉ. ब्रह्मदीप सिंधु के अनुसार, बेटियों ने परिवार के सपोर्ट और अपनी मेहनत के बल पर समाज में एक खास मुकाम हासिल किया है। लॉकडाउन से पहले सिर्फ लड़कियां ही नहीं बल्कि सभी के पास आगे बढ़ने के कई अवसर थे। लेकिन महामारी का विपरीत असर सभी पर हुआ है।

अगर बात लड़कियों की करें तो ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हुई है। जिसका असर मोटापे के रूप में सामने आ रहा है। इससे बचने के लिए फिजिकल एक्टिविटी पर हर हाल में ध्यान दें। साथ ही घर से न निकलने की वजह से लड़कियों में भी बिहेवियरल चेंज देखने को मिला है। उनका परिवार के लोगों के साथ मन-मुटाव जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताएं, एक्टिविटीज करें, खाना खाएं और खूब पॉजिटिव बातें करें।

बेटियों के बिना परिवार अधूरा है। वे पूरे परिवार को रोशन करने का दम रखती हैं।

मोबाइल या सोशल मीडिया के साथ कनेक्ट होने का समय तय करना भी जरूरी है। कई बार ये माध्यम भी आपके तनाव की वजह बन सकते हैं। वक्त के साथ तालमेल बैठाने के लिए आप कुकिंग जैसे कामों में खुद को व्यस्त रखने का प्रयास करें। इससे वक्त भी कटेगा और आप एक हुनर भी सीख पाएंगी।

बुजुर्गों को टेक सेवी बनाने में बेटियों ने उनकी खूब मदद की है।

लॉकडाउन में बेटी बनी परिवार का सहारा
लॉकडाउन के दौरान आम परिवारों की लड़कियों ने घर के कामों में मां का हाथ बंटाकर काम कम करने की कोशिश की। ऐसे कई परिवार हैं जहां बेटियों की वजह से मां और नानी-दादी ने इंटरनेट चलाना सीखा। सोशल मीडिया से घर के बुजुर्गों को कनेक्ट करने में बेटियों की अहम भूमिका रही है। अपने छोटे बहन-भाईयों को सुबह मेडिटेशन से लेकर शाम तक इंडोर गेम में व्यस्त रखने में भी बेटियों ने मदद की है।

लॉकडाउन में बेटियां ऑनलाइन जॉब करके परिवार का सहारा बनी हैं।

यहां उन बेटियों की तारीफ भी की जानी चाहिए जो निम्न मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग की हैं और लॉकडाउन के चलते परिवार का खर्च चला रही हैं। एक ओर ये बेटियां ऑनलाइन जॉब कर परिवार की आय का जरिया बनीं, वहीं अपने छोटे-बड़े स्टार्ट अप के जरिये खास पहचान बनाने में भी ये सफल रही हैं।

मिथिलांचल के मधुबनी में आज हजारों की संख्या में बेटियां मिथिला पेंटिंग करके परिवार का सहारा बनी हैं। वे घर बैठे अपनी कला व हुनर से अच्छी खास कमाई कर रही हैं। इसी तरह बिहार के हरिहरपुर गांव की बेटियां गन्ने के तने से ऑर्गेनिक कपड़ा बनाकर विदेशों में नाम कमा रही हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Two research based on daughters claim that the birth of a daughter increases the age of father by 74 weeks, they are more happy to be with them.


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/30bGUwZ
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

156.7 Kmph Sensation Awaits India Debut, Bangladesh Start Life After Shakib

Pace sensation Mayank Yadav is expected to unleash his raw speed while the absence of India's T20 regulars will provide another opportunity to the fringe players in the three-match series against Bangladesh, beginning here Sunday. Having consistently generated speed in excess of 150kmph in his maiden IPL earlier this year, Mayank had drawn the attention of the cricketing world before a side strain ruled him out of the tournament. Usually, one has to prove fitness in domestic cricket to be considered for national selection but the 22-year-old has been fast-tracked into the side considering his special talent. The series against Bangladesh will be a test of his fitness and temperament. It is yet to be figured if he can display the same accuracy and control that he exhibited in the IPL. Besides Mayank, fellow Delhi pacer Harshit Rana and all-rounder Nitish Kumar Reddy could also make their India debut over the course of the series. Nitish was picked for the Zimbabwe tour post the T...

PCB Not Happy With Pak Star Over Social Media Post On Babar Snub: Report

The Pakistan Cricket Board (PCB) is not pleased that Fakhar Zaman questioned the selection panel's decision to sideline Babar Azam from the Test side. The panel dropped former captain Babar Azam when they announced the squad for the remaining two Tests against England in Multan and Rawalpindi. Zaman took to X to question the decision, inviting the ire of the PCB. "The top board officials are not pleased with the tweet sent out by Fakhar and relevant persons are having a word with him about it," a well-informed PCB source said. "It's concerning to hear suggestions about dropping Babar Azam. India didn't bench Virat Kohli during his rough stretch between 2020 and 2023, when he averaged 19.33, 28.21, and 26.50, respectively. "If we are considering sidelining our premier batsman, arguably the best Pakistan has ever produced, it could send a deeply negative message across the team. There is still time to avoid pressing the panic button; we should focus on sa...

"Gambhir, Agarkar Must Have 'Tough Chat' With Bumrah": Ex-SA Star's Advice

Jasprit Bumrah 's participation in the ICC Champions Trophy 2025 is still not a guarantee, with India's pace spearhead still serving his five-week rest tenure as he attempts to recover from a back issue. Bumrah suffered the injury in the final Test of the Border-Gavaskar Trophy 2024-25. In light of the situation, former South African pacer Vernon Philander has advised that it may be wiser to manage Bumrah's workload and not make him play all of India's games, particularly in "less important matches". Philander emphasized that the team management, presently headed by chief selector Ajit Agarkar and head coach Gautam Gambhir , may need to have a tough chat with Bumrah on resting him for some games. "I think it's more about how the Indian management manages him. They have to manage his workload in between tournaments," Philander said in a media interaction during the SA20 tournament. "I would say, you perhaps want to look at playing him in...