Skip to main content

लोगों की नजरों से बचने को मैं मर्द बन गई, बाल काटे, पगड़ी बांधी, रात-बेरात खेतों में पानी देने जो जाना पड़ता था

सफेद कुर्ता पाजामा, सर पर बंधा सफेद साफा, कंधे पर रखा फावड़ा। कमला को कोई दूर से क्या, पास से भी देखे तो धोखा खा जाए कि कोई पुरुष खेत में काम कर रहा है। दिल्ली से करीब 120 किलोमीटर दूर मुजफ्फरनगर के मीरापुर दलपत गांव की रहने वाली 63 साल की कमला ने अपनी जिंदगी के चार दशक मर्द बनकर खेतों में काम करते हुए गुजार दिए। एक महिला के लिए मर्द बनकर काम करना आसान नहीं था। लेकिन, जिंदगी के सामने ऐसे मुश्किल हालात थे कि उन्होंने घूंघट उतारकर सर के बाल काट लिए और पगड़ी बांध ली।

किसान परिवार में पैदा हुई कमला होश संभालते ही खेतों में काम करने लगी थीं। शादी हुई तो 17 महीने बाद ही पति की दुखद मौत हो गई। बाद में देवर के साथ उन्हें 'बिठा दिया' गया। इस रिश्ते से उन्हें एक बेटी हुई लेकिन, ये रिश्ता ज्यादा नहीं चल सका और वो अपने भाइयों के घर लौट आईं। कमला के छोटे भाई को कैंसर हो गया। दम तोड़न से पहले उन्होंने कमला से वादा लिया कि वो उनके बच्चों को पालेंगी और पत्नी का ध्यान रखेंगी।

कमला कहती हैं, भाई के दोनों बच्चे छोटे थे। कोई सहारा नहीं था। मैंने उनकी जिम्मेदारी संभाल ली और खेती का काम अपने हाथ में ले लिया। लेकिन, महिला के लिए अकेले खेत में जाकर काम करना आसान नहीं था। लोगों की नजरों से बचने के लिए मैंने मर्द का रूप धर लिया। बाल काटे और पगड़ी बांध ली।

भारत के खेतों में महिलाएं सदियों से काम करती रहीं हैं। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस समाज में आज भी मर्दवादी नजरिया हावी है। महिलाएं खेतों पर काम करने जाती तो हैं लेकिन, अकेले नहीं, बल्कि समूहों में या परिवार के दूसरे लोगों के साथ।

कमला अपनी भाभी के साथ। कमला की शादी के 17 महीने बाद ही उनके पति की मौत हो गई, उसके बाद उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी संभाल ली।

लेकिन, कमला के अकेले कंधों पर जमीन जोतने-बोने और फसल की देखभाल करने की जिम्मेदारी थी। रात-बेरात खेतों को पानी देने के लिए जाना पड़ता था। मर्दवादी समाज की नजर और तानों से बचने के लिए वो मर्द ही बन गईं। कमला कहती हैं, 'मैं बेधड़क खेतों में काम करती थी। फसल को पानी देना होता था तो रात को आती थी, सुबह तक काम करके जाती थी। कभी डर महसूस नहीं हुआ। मर्दों की पोशाक ने मुझे सबकी नजरों से बचा लिया।

वो कहती हैं, 'खेत में काम कर रही एक अकेली औरत के साथ कुछ भी हो सकता था, औरत अकेली हो तो हर आंख उस पर ठहरती है। लेकिन खेत में काम कर रहे अकेले मर्द पर किसी का ध्यान नहीं जाता। कमला ने मर्द बनकर लगभग चार दशकों तक खेतों में काम किया। उन्होंने उम्र के छह दशक पार करने के बाद भी न अपना ये रूप छोड़ा है और ना ही काम करना। कमला कहती हैं कि उन्हें भाग्य ने एक के बाद एक झटके दिए, लेकिन वो कभी डगमगाई और डरीं नहीं।

वो अपने पति की मौत, ससुराल में हुए शोषण को अब याद करना नहीं चाहतीं। इस बारे में सवाल करते ही उनके आंखें पथरा जाती हैं। वो कहती हैं, मैं अब उन सब बातों को याद करना नहीं चाहती। ना ही उसका कोई फायदा है।

कमला ने अपनी पूरी जिंदगी खेतों में काम करते बिता दी। वो कहती हैं, मैं हमेशा काम में लगी रहती थी। दिन में एक वक्त खाकर काम किया। सारा दिन ईख छोलती थी। भाभी से कह देती थी कि खाना देने मत आना, घर आकर ही खाऊंगी। इन खेतों ने हमारा परिवार पाला है। कमला ने सिर्फ खेत में ही काम नहीं किया, बल्कि वो गन्ना डालने मिल भी जाती थीं और मंडी भी। वो कहती हैं, 'मैं मर्दों के बीच अकेली औरत होती थी। लेकिन लोग पहचान ही नहीं पाते थे कि मैं औरत हूं।'

कमला के इस बात की खुशी है कि उनके एक भतीजे का घर बस गया है और दूसरे की भी जल्द शादी होने वाली है। वो कहती हैं, 'मेरी जिंदगी का मकसद पूरा हो गया। भाई से जो वादा किया था, निभा दिया।' हमेशा संघर्ष करती रहीं कमला को उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद भी सुकून नहीं है। वो जिन खेतों में काम कर रहीं थी, वो उनके भाई की संपत्ति हैं। खेतों की ओर देखते हुए बात कर रही कमला कहती हैं, 'मेरे खेत...और ये कहते-कहते उनकी जबान रुक जाती है, खुद को संभालते हुए वो कहती हैं, अब तो ये भाई के बच्चों के खेत हैं।

मुजफ्फरनगर के मीरापुर दलपत गांव की रहने वाली 63 साल की कमला पिछले चार दशकों से अपने खेतों में मर्द बनकर काम कर रही हैं।

भारत में पारंपरिक तौर पर पिता की संपत्ति, जमीन-जायदाद भाइयों के हिस्से आती है और बहनों के हिस्से आती है ससुराल, जहां वो बाकी जिंदगी रहती हैं। लेकिन, भारत का कानून बेटियों को भी संपत्ति पर बराबर का हक देता है। कमला ने कभी अपना ये हक लेने के बारे में सोचा तक नहीं है।

अब जब उनका शरीर ढल रहा है, उन्हें अपनी आगे की जिंदगी की चिंता हैं। वो कहती हैं, 'मैं अपने लिए एक कमरा तक नहीं बना सकी। अपना सिर छुपाने के लिए मेरे पास अपनी कोई जगह नहीं है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मुझे घर दिलाने की कोशिश की थी। लेकिन, वो काम भी कोरोना में अटक गया है। बात करते-करते कमला के चेहरे के भाव कई बार बदलते हैं। उनके चेहरे पर भाई के परिवार को पालने का सुकून दिखाई देता है तो अकेलेपन का अफसोस भी और बुढ़ापे को लेकर चिंता भी।

एक औरत जो सारी जिंदगी समाज की पाबंदियों को तोड़कर अपने दम पर जीती रही, चलते-चलते कहती हैं, 'अगर मेरे आवास के लिए कुछ हो सके तो कीजिएगा। मैं भी कोशिश कर ही रही हूं। जो भी होगा, जैसे भी होगा, एक कमरा तो बना ही लूंगी।' मैं मन ही मन इस खुद्दार औरत को सलाम करती हूं और मेरे दिमाग में कई सवाल एक साथ कौंधने लगते हैं।

'समाज कमला जैसी असली हीरो का सम्मान क्यों नहीं कर पाता है? अपना सबकुछ त्याग देने वाली मेहनतकश कमला अब उम्र के आखिरी पड़ाव पर इतना अकेला क्यों महसूस कर रही हैं? उन्हें सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत कोई फायदा क्यों नहीं मिल सका है?'

ये पॉजिटिव खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...

1. मेरठ की गीता ने दिल्ली में 50 हजार रु से शुरू किया बिजनेस, 6 साल में 7 करोड़ रु टर्नओवर, पिछले महीने यूरोप में भी एक ऑफिस खोला

2. पुणे की मेघा सलाद बेचकर हर महीने कमाने लगीं एक लाख रुपए, 3 हजार रुपए से काम शुरू किया था

3. इंजीनियरिंग के बाद सरपंच बनी इस बेटी ने बदल दी गांव की तस्वीर, गलियों में सीसीटीवी और सोलर लाइट्स लगवाए, यहां के बच्चे अब संस्कृत बोलते हैं

4. कश्मीर में बैट बनाने वाला बिहार का मजदूर लॉकडाउन में फंसा तो घर पर ही बैट बनाने लगा, अब खुद का कारखाना शुरू करने की तैयारी



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
kamala A women of muzaffarnagar turns as a man and starts farming to survive her Family


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3cI5ryE
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

156.7 Kmph Sensation Awaits India Debut, Bangladesh Start Life After Shakib

Pace sensation Mayank Yadav is expected to unleash his raw speed while the absence of India's T20 regulars will provide another opportunity to the fringe players in the three-match series against Bangladesh, beginning here Sunday. Having consistently generated speed in excess of 150kmph in his maiden IPL earlier this year, Mayank had drawn the attention of the cricketing world before a side strain ruled him out of the tournament. Usually, one has to prove fitness in domestic cricket to be considered for national selection but the 22-year-old has been fast-tracked into the side considering his special talent. The series against Bangladesh will be a test of his fitness and temperament. It is yet to be figured if he can display the same accuracy and control that he exhibited in the IPL. Besides Mayank, fellow Delhi pacer Harshit Rana and all-rounder Nitish Kumar Reddy could also make their India debut over the course of the series. Nitish was picked for the Zimbabwe tour post the T...

PCB Not Happy With Pak Star Over Social Media Post On Babar Snub: Report

The Pakistan Cricket Board (PCB) is not pleased that Fakhar Zaman questioned the selection panel's decision to sideline Babar Azam from the Test side. The panel dropped former captain Babar Azam when they announced the squad for the remaining two Tests against England in Multan and Rawalpindi. Zaman took to X to question the decision, inviting the ire of the PCB. "The top board officials are not pleased with the tweet sent out by Fakhar and relevant persons are having a word with him about it," a well-informed PCB source said. "It's concerning to hear suggestions about dropping Babar Azam. India didn't bench Virat Kohli during his rough stretch between 2020 and 2023, when he averaged 19.33, 28.21, and 26.50, respectively. "If we are considering sidelining our premier batsman, arguably the best Pakistan has ever produced, it could send a deeply negative message across the team. There is still time to avoid pressing the panic button; we should focus on sa...

Gardner Shines Again As GG Register Six-Wicket Win Over UPW In WPL 2025

Skipper Ashleigh Gardner starred with both bat and ball, leading Gujarat Giants to a comprehensive six-wicket win over UP Warriorz in their Women's Premier League match in Vadodara on Sunday. Gardner (2/39) claimed two wickets and then scored a stylish 32-ball 52, her second consecutive fifty, as Gujarat registered their first win of the third edition of the tournament, following a loss in the opening game to Royal Challengers Bengaluru. Opting to bowl, Gujarat produced a clinical effort with young spinner Priya Mishra returning impressive figures of 4-0-25-3. Skipper Gardner, Deandra Dottin (2/34), and Kashvee Gautam (1/15) also played key roles in restricting UPW to 143 for nine. Chasing 144 to win, the Giants were reduced to 22 for 2 with opener Beth Mooney and Dayalan Hemalata back in the pavilion after UPW introduced spin at both ends. However, Gardner produced an inspired knock, adding 55 runs off 42 balls with Laura Wolvaardt (22) to resurrect the innings. Gardner struck t...