Skip to main content

जानिए, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने ऐसा क्या कह दिया कि सभी मुस्लिम देश उनसे नाराज हैं?

ईरान के अखबार में फ्रंट पेज पर हेडिंग थी- डीमन ऑफ पेरिस। ढाका की सड़कों पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को शैतान का पुजारी कहा गया। बगदाद में फ्रांस दूतावास के बाहर फ्रांस के झंडे के साथ मैक्रों का पुतला जलाया गया। वहीं, पाकिस्तान की संसद में मैक्रों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया गया।

इस्लामिक देशों में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है। संस्कृति, राजनीतिक सिस्टम और आर्थिक विकास के स्तर से ऊपर उठकर इस्लामिक देश मैक्रों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। अफगानिस्तान में हेरत के बाजारों से लेकर पाकिस्तान में इस्लामाबाद यूनिवर्सिटी और अम्मान के अपमार्केट इलाकों में फ्रांस का विरोध हो रहा है। नतीजा यह है कि फ्रांस के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार की अपील हो रही है और फ्रेंच नागरिकों को धमकियां भी मिल रही हैं।

जॉर्डन के अम्मान में सुपर मार्केट में लगा प्लेकार्ड फ्रेंच प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की अपील कर रहा है।

फ्रांस और इस्लामिक देशों में तनाव की शुरुआत कैसे हुई?

  • तनाव तब शुरू हुआ, जब सितंबर में विवादित कार्टून मैग्जीन चार्ली हेब्दो ने पैगंबर मुहम्मद के विवादित कार्टून फिर से छाप दिए। 2015 में इसी कार्टून को छापने को लेकर चार्ली हेब्दो के ऑफिस पर आतंकी हमला हुआ था। 14 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू होने वाली थी। उससे ठीक पहले चार्ली हेब्दो ने फिर वही कार्टून छाप दिए।
  • चार्ली हेब्दो ने मंगलवार रात को तुर्की के साथ चल रहे तनावों को सुलगाते हुए प्रेसिडेंट एर्डोगन का मजाक उड़ाने वाला कार्टून भी ऑनलाइन पब्लिश किया। एर्डोगन के प्रेस सलाहकार फहरेत्तिन अल्टन ने ट्वीट किया- हम सांस्कृतिक नस्लभेद और नफरत फैलाने वाले पब्लिकेशन के इस घृणित प्रयास की निंदा करते हैं।
  • इसमें आग में घी काम किया मैक्रों के बयान ने। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वे इस्लामिक अलगाववाद से लड़ना चाहते हैं। इसमें उन्होंने यह भी कहा कि यह धर्म पूरी दुनिया में आज संकट के दौर से गुजर रहा है। उनकी इस टिप्पणी पर कई मुस्लिम नेताओं और कमेंटेटर्स ने आपत्ति जताई है।

स्कूल टीचर पैटी की हत्या का इससे क्या संबंध है?

  • 16 अक्टूबर को 18 साल के चेचेन रिफ्यूजी ने क्लास में पैगंबर के कार्टून दिखाने पर फ्रेंच टीचर सैमुअल पैटी की स्कूल के बाहर हत्या कर दी। उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। इसके जवाब में हिंसक अतिवादियों और इस्लामिक ग्रुप्स पर छापे मारे गए।
  • नतीजा यह हुआ कि कई फ्रेंच शहरों में पैगंबर के कैरिकेचर इमारतों की दीवारों पर बनवाए गए। यह एक तरह से सेकुलरिज्म का डिफेंस था और बर्बर हत्या का विरोध। मैक्रों ने पेरिस में यह भी साफ कर दिया कि उनका देश कार्टून बंद नहीं करने वाला।
  • प्रेसिडेंट मैक्रों ने कहा कि फ्रांस न तो कार्टून बनाना छोड़ेगा और न ही ड्राइंग बनाना। भले ही अन्य लोग पीछे हट जाएं। हम अपनी आजादी की रक्षा करेंगे और हमारे अपने सेकुलरिज्म पर कायम रहेंगे।
  • सैमुअल पैटी की हत्या के बाद मैक्रों ने जो भी बोला, उसे लेकर इस्लामिक देशों में विरोध शुरू हो गया है। तुर्की और पाकिस्तान में तो फ्रेंच राष्ट्रपति के इस्लामोफोबिया की जमकर आलोचना हो रही है। बांग्लादेश तक पीछे नहीं है।
बांग्लादेश के ढाका में सोमवार को करीब 40 हजार लोगों ने मैक्रों के बयान के खिलाफ रैली निकाली।

फ्रांस में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन क्यों पनप रहे हैं?

  • जनवरी 2015 में चार्ली हेब्दो के ऑफिस में हमला पैगंबर मुहम्मद के कार्टून पब्लिश करने का बदला था और यह फ्रांस के लिए टर्निंग पॉइंट बना है। नवंबर में पेरिस में सिलसिलेवार बम धमाके हुए और इसने पूरी दुनिया को दहला दिया था।
  • इन हमलों में आत्मघाती हमले, फुटबॉल स्टेडियम में शूटिंग, कैफे और रेस्त्रां में मास शूटिंग, थिएटर में बंधक बनाने की घटनाएं शामिल हैं। यूरोप में फ्रांस ही एक ऐसा देश है, जहां से सबसे ज्यादा नागरिक 2014-15 में इराक और सीरिया जाकर ISIS में शामिल हुए।

सेकुलरिज्म की फ्रेंच परिभाषा क्या है?

  • मैक्रों की टिप्पणी इस बात पर ध्यान खींचती है कि फ्रांस में सेकुलरिज्म भारत से बिल्कुल ही अलग है। हमारे यहां तो सेकुलरिज्म यानी सभी धर्मों को बराबर सम्मान और छूट देना है। फ्रांस में ऐसा नहीं है। वहां पब्लिक डिबेट में धार्मिकता प्रतिबंधित है। इसी वजह से फ्रांस का सेकुलरिज्म अक्सर इस्लाम को नाराज करता दिखता है।
  • फ्रांस में ईशनिंदा को व्यक्तिगत आजादी के रूप में अधिकार माना जाता है। आप जीसस क्राइस्ट का भी अपमान कर सकते हैं और इस्लाम का भी। इसे ही फ्रांस का 'वे ऑफ लाइफ' माना जाता है। इसमें भाषा को जानना और फ्रेंच सेकुलरिज्म का सम्मान करना भी शामिल है।

फ्रांस में सेकुलरिज्म का मुस्लिमों से टकराव क्यों होता है?

  • पिछले कुछ वर्षों में फ्रांस के सेकुलरिज्म को टकराव का सामना करना पड़ा है, खासकर फ्रांस में बाहर से आए कई धर्मों का पालन करने वाले लोगों की वजह से। इनमें सिख भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा टकराव मुस्लिमों से ही हुआ है।
  • फ्रांस में रहने वाले ज्यादातर मुस्लिम फ्रांस में ही जन्मे हैं, जो उत्तरी अफ्रीका में फ्रेंच कॉलोनी से आकर बसी प्रवासियों की पहली पीढ़ी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। फ्रांस का संविधान कहता है कि जिन्हें नागरिकता चाहिए, उन्हें समानता पर भरोसा करना होगा। लेकिन, यह सिर्फ कागजी बातें हैं।
  • इससे पहले भी फ्रांस में इस्लाम निशाने पर रहा है। 2005 में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के हिजाब पहनने पर बैन किया गया, फिर 2010 में बुर्का बैन किया गया, 2011 में चार्ली हेब्दो ने इस्लामिक देशों की तीखी प्रतिक्रियाओं को न्योता दिया।
  • मैक्रों ने अपने भाषण में साफ तौर पर कहा कि फ्रांस जिस तरह से इस चुनौती से निपट रहा है, उसमें कई कमियां हैं। फ्रांस की सरकारों को ही जिम्मेदारी लेनी होगी कि उन्होंने मुस्लिम समुदायों को काबू में नहीं रखा और रेडिकलाइजेशन की स्थितियों को बनने दिया।

क्या मैक्रों के भाषण फ्रांस की राजनीति से प्रेरित है?

  • बिल्कुल। मैक्रों ने जो बोला, वह उनकी राजनीतिक मजबूरी भी हो सकता है। फ्रांस का कोई भी पॉलिटिशियन यह नहीं कह सकता कि इस्लामिक चरमपंथी घटनाओं का फ्रांस के जनजीवन पर असर नहीं पड़ा है। चार्ली हेब्दो के हत्यारों का हमले के पांच साल बाद ट्रायल पिछले महीने शुरू हुआ। पैटी की हत्या चार्ली हेब्दो के खिलाफ आतंकी हमले की अगली कड़ी ही तो है।
  • मैक्रों कहते हैं कि वे लेफ्ट-राइट की राजनीति नहीं करते। 2022 में फिर प्रेसिडेंशियल चुनाव लड़ना चाहते हैं। राइट-विंग मरीन ला पेन से मुकाबला होगा, जिन्हें मैक्रों ने 2017 के चुनावों में हराया था। पेन का मैक्रों पर आरोप है कि उन्होंने इस्लामिक चरमपंथियों को रोकने में सख्ती नहीं बरती।
  • वैसे, मैक्रों ने विवादित एंटी-सेप्रेटरिज्म बिल की घोषणा भी की है, जिसे दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा। इससे इस्लामिक चरमपंथ पर काबू पाने की कोशिश की जाएगी। इसमें मुस्लिम बच्चों का ड्रॉप-आउट कम करने के लिए स्कूल शिक्षा सुधार, मस्जिदों और मौलवियों के लिए सख्त नियम शामिल है। इसे लेकर फ्रांस के मुस्लिमों में काफी चिंता है।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
French President Emmanuel Macron | Islamic Countries Are Angry over Macron For His Controversial Comments | Muhammad Catoons Charlie Hebdo | Islamist extremism | Pakistan Bangladesh Dhaka Amman Jordan


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kFW0CV
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

Gardner Shines Again As GG Register Six-Wicket Win Over UPW In WPL 2025

Skipper Ashleigh Gardner starred with both bat and ball, leading Gujarat Giants to a comprehensive six-wicket win over UP Warriorz in their Women's Premier League match in Vadodara on Sunday. Gardner (2/39) claimed two wickets and then scored a stylish 32-ball 52, her second consecutive fifty, as Gujarat registered their first win of the third edition of the tournament, following a loss in the opening game to Royal Challengers Bengaluru. Opting to bowl, Gujarat produced a clinical effort with young spinner Priya Mishra returning impressive figures of 4-0-25-3. Skipper Gardner, Deandra Dottin (2/34), and Kashvee Gautam (1/15) also played key roles in restricting UPW to 143 for nine. Chasing 144 to win, the Giants were reduced to 22 for 2 with opener Beth Mooney and Dayalan Hemalata back in the pavilion after UPW introduced spin at both ends. However, Gardner produced an inspired knock, adding 55 runs off 42 balls with Laura Wolvaardt (22) to resurrect the innings. Gardner struck t...

'Not Taught About Sambhaji': Ex-Cricketer's 'Aurangzeb' Remarks Start Debate

The Vicky Kaushal-starrer movie 'Chhaava', based on the life and times of Chhatrapati Sambhaji Maharaj - the second ruler of the Maratha Confederacy and son of Chhatrapati Shivaji Maharaj, has received positive response from audience across the country. Apart from Vicky Kaushal as Chhatrapati Sambhaji Maharaj, Rashmika Mandanna (as Yesubai Bhonsale), Akshaye Khanna (as Aurangzeb), Ashutosh Rana (as Hambirrao Mohite), Diana Penty (as Zinat-un-Nissa Begum) and Divya Dutta (as Soyarabai) play prominent roles in the movie.   Former India cricket team star Aakash Chopra also liked the movie. He, however, raised some questions after watching the film.  "Watched Chhaava today. Incredible tale of bravery, selflessness and the sense of duty.  Genuine question—why were we not taught about Chattrapati Sambhaji Maharaj at all in school? Not even a mention anywhere!!!  We did learn though how Akbar was a great and fair emperor, and even have a very prominent road called Auran...