निर्भया को 7 साल बाद इंसाफ मिला, बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी का हक और सेना में स्थाई कमीशन भी मिला

2020 बीतने को है। इस साल सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम फैसले सुनाए। जम्मू-कश्मीर के एक मामले में इंटरनेट को मौलिक अधिकार करार दिया तो दूसरी ओर तय जगह पर ही विरोध प्रदर्शन करने की छूट का फैसला सुनाया।

सबसे बड़ी अदालत ने महिलाओं के हक में चार ऐतिहासिक फैसले भी दिए। देश की आधी आबादी को 17 बरस की कानूनी लड़ाई के बाद सेना में स्थाई कमीशन का हक मिला तो सात साल बाद निर्भया को इंसाफ। आखिरी रात तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दे दी गई।

तीसरी तरफ बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी के हक का रास्ता भी सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह साफ कर दिया। वहीं, पति से तलाक का केस चलने के दौरान भी महिलाओं को ससुराल में रहने का अधिकार दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए। तो आइए 2020 के विदाई के दौरान ऐसे फैसलों के बारे में जानते हैं, जिनका लंबे समय तक असर रहेगा...

इंटरनेट जन्मसिद्ध अधिकार है

  • फैसला: 4 अगस्त 2019 से ही जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद था। इसे शुरू करवाने के लिए कोर्ट में याचिकाएं दाखिल हुईं। 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट को अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार माना। जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने कहा, 'बोलने की आजादी और अलग राय दबाने के लिए धारा-144 इस्तेमाल नहीं हो सकती। ये सत्ता का दुरुपयोग है।'
  • फैसले का असरः सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 25 जनवरी से कश्मीर में 2G इंटरनेट शुरू कर दिया गया। हालांकि, सोशल मीडिया पर बैन जारी रहा। बाद में 4 मार्च को सरकार ने इस बैन को भी हटा दिया। वहां अब भी 2G इंटरनेट ही चल रहा है।

थलसेना में भी महिलाओं को बराबरी का हक

  • फैसलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा, शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत 14 साल से कम और उससे ज्यादा सेवाएं दे चुकीं महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन का मौका दिया जाए। महिलाओं को कमांड पोस्टिंग का अधिकार मिले। सरकार का तर्क था कि पुरुष सैनिक महिलाओं से आदेश लेने को तैयार नहीं। इस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार और सेना मानसिकता बदले।
  • फैसले का असरः स्थाई कमीशन लागू होने की वजह से अब महिलाएं 20 साल तक सेना में काम कर सकेंगी। हालांकि, कोर्ट का यह आदेश कॉम्बैट यानी सीधे युद्ध में उतरने वाली विंग पर लागू नहीं होगा। स्थाई कमीशन के लिए महिलाएं 17 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही थीं।

निर्भया के दोषियों के हर दांव को सुप्रीम कोर्ट ने नाकाम किया

  • फैसलाः लंबी लड़ाई के बाद निर्भया के चार दोषियों- मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की फांसी की तारीख 20 मार्च मुकर्रर हुई। फांसी से एक दिन पहले दोषियों की 5 याचिकाएं खारिज हुई थीं। रात 10:30 बजे दोषी फांसी रुकवाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे, जहां याचिका खारिज हो गई। उसके बाद रात 1ः30 बजे सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। इस पर कोर्ट ने कहा, दोषियों की दलीलों में दम नहीं, फांसी का फैसला नहीं टलेगा।
  • फैसले का असरः निर्भया को इंसाफ मिलने में 7 साल, 3 महीने, 4 दिन का समय लगने के बाद फांसी की सजा को टालने के दांव-पेंचों के खिलाफ कानून प्रक्रिया में सुधार की मांग ने जोर पकड़ा।

एक लाख करोड़ की संपत्ति वाले पद्मनाभ मंदिर का विवाद सुलझा

  • फैसलाः श्री पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। 1750 में मार्तंड वर्मा ने संपत्ति मंदिर को सौंप दी। त्रावणकोर के अंतिम शासक का निधन 20 जुलाई 1991 को हुआ। 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के 31 जनवरी 2011 को दिए फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि त्रावणकोर के आखिरी शासक की मौत से शाही परिवार की भक्ति और सेवा को उनसे नहीं छीना जा सकता। वे अपनी परंपराओं के आधार पर मंदिर की सेवा जारी रख सकते हैं।
  • फैसले का असरः सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले केरल हाईकोर्ट के आदेश पर मंदिर का एक तहखाना खोला गया, जिसमें 1 लाख करोड़ रुपए के जेवरात मिले। दूसरा तहखाना खोलने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने प्रबंध समिति पर सौंपा है।

पिता की संपत्ति में बेटे ही नहीं, बेटियों को भी बराबर का हक

  • फैसलाः कोर्ट में महिला ने याचिका दाखिल की थी। उसके भाइयों ने दलील दी कि पिता की मृत्यु 1999 में हो गई थी, इसलिए संपत्ति पर उनकी बहन का हक नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हिंदू उत्तराधिकारी (संशोधन) कानून-2005 लागू होने के वक्त पिता जीवित न हो तो भी बेटी संपत्ति में हिस्सेदार है। जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने कहा- बेटे तो शादी तक ही बेटे रहते हैं, बेटियां पूरी जिंदगी माता-पिता को प्यार देती हैं
  • फैसले का असरः 9 सितंबर 2005 को हिंदू उत्तराधिकारी (संशोधन) कानून लागू हुआ था। इसके तहत कहा गया कि इस कानून के लागू होने से पहले यदि पिता की मृत्यु हो चुकी है और बंटवारा भी, तो ऐसे में बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता था, मगर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने इस सीमा को तोड़ दिया। अब बेटियों को पिता की संपत्ति में जन्म से ही अधिकार मिल गया है।

सुप्रीम कोर्ट की अवमानना पर एक रुपया जुर्माना

  • फैसलाः वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने 27 और 29 जून को ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई एसए बोबडे पर सवाल उठाए। इसके बाद उन पर कोर्ट की अवमानना का केस चला। दो महीने बाद 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दोषी मानते हुए 1 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही कहा कि जुर्माना ना देने पर उन्हें 3 महीने की कैद की सजा काटनी होगी और 3 साल तक वकालत पर प्रतिबंध लग जाएगा। इसके बाद 1 सितंबर को प्रशांत भूषण ने जुर्माना जमा करा दिया।
  • फैसले का असरः प्रशांत भूषण ने 21 अक्टूबर को ट्वीट कर मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से CJI को स्पेशल हेलिकॉप्टर मुहैया कराए जाने की आलोचना की, मगर इस बार उन्होंने गलती मानते हुए खेद जता दिया।

7-प्रदर्शन का अधिकार, लेकिन पब्लिक प्लेस पर कब्जा मंजूर नहीं

  • फैसलाः दिल्ली के शाहीन बाग पर 3 महीने तक धरना चला। रोड खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्टूबर को फैसला दिया। जस्टिस कौल ने कहा, 'जिस प्रकार हमारा संविधान हमें विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार देता है, उसी प्रकार सड़क पर आने-जाने का अधिकार भी देता है। इस तरह का विरोध स्वीकार्य नहीं है। ऐसे मामलों में कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है, सरकार खुद कार्रवाई कर सकती है।
  • फैसले का असरः कोर्ट का फैसला आने से पहले ही कोरोना के चलते शाहीन बाग खाली कराया जा चुका था। हाल ही में इस फैसले का जिक्र तीन विवादित कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को हटाने की अर्जियों के दौरान भी हुआ। एक पिटीशनर ने कोर्ट के इसी फैसले का जिक्र किया था, तब चीफ जस्टिस ने कहा कि कानून-व्यवस्था के मामले में कोई उदाहरण नहीं दिया जा सकता।

8-पति के किसी भी रिश्तेदार के घर में पत्नी का हक

  • फैसलाः सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में साझा गृहस्थी की परिभाषा का दायरा बढ़ाते हुए फैसला दिया कि बहू को सास-ससुर के उस घर में भी रहने का हक है, जिसमें वो अपने संबंधों के कारण पहले रह चुकी है। मामले में महिला ने पति पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था। दोनों के बीच तलाक की प्रक्रिया चल रही थी। पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि महिला पति के ही नहीं, बल्कि पति के किसी भी रिश्तेदार के घर पर रह सकती है।
  • फैसले का असरः 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि पत्नी सिर्फ पति के घर पर ही रह सकती है। ससुराल वालों या रिश्तेदार के घर नहीं। लेकिन, अब पत्नी पति के किसी भी रिश्तेदार के घर पर रहने की हकदार है। पहले पत्नी सिर्फ पति के उसी घर में रह सकती थी, जिसमें पति का हिस्सा था। लेकिन, अब अगर पति का किसी घर में हिस्सा नहीं है, लेकिन संबंधों के दौरान पत्नी उस घर में रही है, तो वो उस घर में रहने की हकदार है।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Nirbhaya Rape Case Verdict To Shaheen Bagh Protests | Supreme Court Important Judgments 2020 Year In Review


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3rxsSle
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

IPL 2024 Points Table: SRH Gain Two Spots With Win, CSK Are At...

RCB vs CSK Now Straight Shootout For IPL Playoffs. Lara Picks Favourite

Imran Tahir Becomes Fourth Player Ever To Claim 500 wickets In T20 Cricket