Skip to main content

हम तो युद्ध लड़ रहे हैं; जब तक सबको कोरोना वैक्सीन नहीं मिलती, आराम कहांः सुचित्रा ऐल्ला

भारत की पहली स्वदेशी वैक्सीन-कोवैक्सिन बना रही हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक को सरकारी रेगुलेटर से मंजूरी का इंतजार है। करीब 6 से 7 मिलियन डोज तैयार हैं। सैंपल टेस्टिंग के लिए कसौली भेजे हैं। जैसे ही ड्रग रेगुलेटर से इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिलेगी, राज्यों को जरूरत के मुताबिक वैक्सीन सप्लाई होने लगेगी।

(2021 इस सदी के लिए उम्मीदों का सबसे बड़ा साल है। वजह- जिस कोरोना ने देश के एक करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में लिया, उसी से बचाने वाली वैक्सीन से नए साल की शुरुआत होगी। इसलिए 2021 के माथे पर यह उम्मीदों का टीका है।)

भारत बायोटेक की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा ऐल्ला ने भास्कर को दिए स्पेशल इंटरव्यू में बताया कि हैदराबाद में हमारी दो फेसिलिटी में काम शुरू हो गया है। तीसरी फेसिलिटी मार्च तक बनकर तैयार होगी। इससे हम 2021 के अंत तक सालाना 20 करोड़ से ज्यादा डोज बनाने लगेंगे। हम तो युद्ध लड़ रहे हैं। जब तक सबको वैक्सीन नहीं मिलेगी, तब तक आराम नहीं करने वाले। आप भी पढ़िए सुचित्रा ऐल्ला से इस खास बातचीत के मुख्य अंश...

आपकी वैक्सीन को कब तक इमरजेंसी अप्रूवल मिल सकता है?
इस समय हमारे लिए कुछ भी कहना बेहद मुश्किल होगा। ड्रग रेगुलेटर ही अंतिम फैसला लेगा। हमारा काम तो ट्रायल्स का डेटा डेली-बेसिस पर सबमिट करना है और हम यह कर रहे हैं। शुरुआत में हेल्थकेयर वर्कर्स और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगनी है। हमारी पूरी तैयारी है। हर राज्य ने अपनी वैक्सीन से जुड़ी मांगों को केंद्र सरकार के सामने रख दिया है। ड्रग रेगुलेटर कई सारी बातें देखकर अंतिम फैसला करेगा।

क्या सीरम की तरह आपने भी इमरजेंसी अप्रूवल से पहले वैक्सीन बनाना शुरू कर दी है?
हां। हमने अपने रिस्क पर प्रोडक्शन शुरू किया था। जो सैंपल हमारी वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी में बने थे, जांच के लिए कसौली की नेशनल ड्रग टेस्टिंग फेसिलिटी में भेजे हैं। 6 से 7 मिलियन डोज तैयार हैें। हैदराबाद में तीसरी फेसिलिटी बनते ही हमारी क्षमता 200 मिलियन डोज सालाना हो जाएगी।

क्या आपकी वैक्सीन नए स्ट्रेन पर कारगर होगी? इसे अपडेट करने की जरूरत तो नहीं होगी?
हमने वैक्सीन डेवलपमेंट में पूरे वायरस का इस्तेमाल किया है। इससे हमारी वैक्सीन पूरे वायरस पर कारगर है। वायरस में छोटे-मोटे बदलावों से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। नए स्ट्रेन के बारे में NIV में स्टडी हो रही है। ऐहतियात के तौर पर हम कोशिश कर रहे हैं कि नया स्ट्रेन भी हमें जल्द से जल्द मिल जाए, ताकि हम उस पर अपनी वैक्सीन को आजमा सकें। इससे इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि नए स्ट्रेन पर भी हमारी वैक्सीन कारगर है।

सरकार ने कहा है कि वैक्सीन का इफेक्ट 42 दिन बाद होगा। क्या कोवैक्सिन पर भी यह लागू है?
जी हां। यह कोई पैरासिटामॉल नहीं है, जो तीन घंटे में असर दिखाना शुरू कर देगी। वैक्सीन से शरीर में इम्यून रिस्पॉन्स डेवलप करने में समय लगता है। बच्चों में भी एक से लेकर तीन डोज तक देने पड़ते हैं। तब जाकर शरीर में उस वायरस के प्रति इम्यून रिस्पॉन्स विकसित होता है। इसमें भी 60 दिन तक लग जाते हैं। कोवैक्सिन के दो डोज 28 दिन के अंतर से लगेंगे। दूसरे डोज के 14 दिन बाद यानी 42वें दिन तक सक्रिय होगी। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी लोगों में इसका असर ऐसे ही होगा। वैक्सीन का इफेक्ट दिखने में 45 से 60 दिन भी लग जाते हैं। वहीं, कुछ लोगों में वैक्सीन इससे पहले भी असर दिखाना शुरू कर देती है। ट्रायल्स में हम 42वें दिन वॉलंटियर का ब्लड सैंपल ले रहे हैं। इसमें देख रहे हैं कि उसके शरीर में एंटीबॉडी बनी या नहीं।

भारत बायोटेक की मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी करते हुए भारत बायोटेक की जॉइंट एमडी सुचित्रा ऐल्ला।

क्या यह वैक्सीन हर उम्र के लोगों के लिए सेफ और इफेक्टिव है?
हमारे अब तक के ट्रायल्स में कोवैक्सिन सेफ और इफेक्टिव साबित हुई है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के आधार पर पूरा फोकस सिर्फ 18 वर्ष से ज्यादा उम्र की आबादी पर है। ट्रायल्स इन पर ही हुए हैं। 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगानी है तो उन पर ट्रायल्स करने होंगे। उसके बाद ही कुछ तय हो सकेगा।

वैक्सीन आने के बाद हम कब तक बिना मास्क के घूम सकेंगे?
नहीं। इसमें वक्त लगेगा। यह महामारी कब खत्म होगी, इसका जवाब थोड़ा मुश्किल है। मैं न तो FDA चीफ हूं और न ही CDC या ICMR की। इसके बाद भी इतना कह सकती हूं कि आपको 2021 में भी पूरे साल सावधान रहना होगा। हमारे देश की आबादी को देखते हुए लगता नहीं कि दिसंबर 2021 तक सबको वैक्सीन मिल सकेगी। अगर कोरोना के खतरे से बचना है तो मास्क पहनना ही होगा।

आपकी वैक्सीन अब अंतिम स्टेज पर है, अब ताे आप थोड़ी राहत महसूस कर रही होंगी?
हमें नहीं पता कि अब भी हम रिलीव हुए हैं या नहीं। हमने अप्रैल में काम शुरू किया था। साइंटिस्ट्स, रिसर्च टीम और टेक्नोलॉजी टीम ने मार्च-अप्रैल में ही काम शुरू कर दिया था। अब भी 24X7 काम कर रहे हैं। तीन शिफ्ट्स में काम होता है। हम उस दिन रिलैक्स होंगे, जब भारत के हर व्यक्ति को वैक्सीन लग जाएगी। तब तक रुककर सुस्ताने के लिए हमारे पास वक्त कहां है?

69 देशों के राजनयिकों ने दिसंबर के पहले हफ्ते में भारत बायोटेक की मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी का दौरा किया और टेक्नोलॉजी को समझा।

कोरोना वैक्सीन पर काम करते हुए आपकी दिनचर्या किस तरह बदली है?
कंपनी में हमारी कैपेबल टीम है। तयशुदा सिस्टम सब करता है। मैं पहले 6-8 घंटे काम करती थी, लेकिन महामारी ने काफी कुछ बदल दिया है। अब हमारी टीम रोज 12-15 घंटे काम कर रही है। मैं भी 12 घंटे से ज्यादा समय तक रोजाना एक्टिव रहती हूं।

कोवैक्सिन पर कितना खर्च हुआ है और होने वाला है? इसमें क्या किसी तरह की फंडिंग मिली है?
कोवैक्सिन के लिए हमें ICMR से क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए फंडिंग मिली है। इस पर 70 से 80 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। इसके अलावा वैक्सीन के डेवलपमेंट और अन्य चीजों पर कंपनी का ही खर्च हुआ है। हमारा आकलन है कि कोवैक्सिन के बनाने और आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने की प्रक्रिया में 70 से 80 मिलियन डॉलर (500-600 करोड़ रुपए) खर्च हो जाएंगे।

कोरोना वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया कब शुरू हुई?
यह लंबा संघर्ष रहा है। पूरे देश में लॉकडाउन था, तब भी हम काम कर रहे थे। वैक्सीन बनाने के लिए हमें वायरस का लाइव स्ट्रेन चाहिए था। हमने ICMR और NIV को पत्र लिखे। उनसे वायरस का भारतीय स्ट्रेन हासिल किया। उस समय न तो एयर कार्गो चल रहे थे और न ही एयरपोर्ट्स काम कर रहे थे। हमने सड़क के रास्ते गाड़ियां भेजीं और पुणे से वायरस का स्ट्रेन हैदराबाद लाए। फिर कड़ी मेहनत कर उसे इनएक्टिवेट किया। इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखा कि यह वायरस हमारे साइंटिस्ट और अन्य स्टॉफ को इन्फेक्ट न कर दे।

आपकी वैक्सीन किस तरह इम्यून रिस्पॉन्स डेवलप करती है?
हमारी वैक्सीन इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म पर काम करती है। हमने इसमें कोरोनावायरस को कमजोर किया ताकि वह शरीर में संख्या न बढ़ा सके। वैक्सीन इंजेक्ट करने पर शरीर में इम्यून रिस्पॉन्स डेवलप करती है। हमारे शुरुआती 4 से 6 हफ्ते प्री-क्लीनिकल ट्रायल्स में ही निकल गए थे। हम और हमारी वैज्ञानिक टीम हैदराबाद के बाहर फेसिलिटी में रहे। घर भी नहीं गए।

हमने तय किया था कि स्पाइक प्रोटीन या वायरस के किसी हिस्से के बजाय पूरे वायरस को लेकर वैक्सीन बनाई जाए। दुनियाभर में अलग-अलग टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर वैक्सीन बन रही है। पर हमारी कोशिश थी कि ऐसे प्लेटफॉर्म पर वैक्सीन बनाई जाए, जो सबसे अधिक भरोसेमंद हो। आज हम तीन विदेशी यूनिवर्सिटियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उनसे टेक्नोलॉजी पर नॉलेज शेयरिंग कर रहे हैं।

अभी वैक्सीन के ट्रायल्स का स्टेटस क्या है?
इस वैक्सीन को बनाने में हमारा जापानी एंसेफिलाइटिस समेत कई वैक्सीन बनाने का अनुभव काम आया। जुलाई में हमने ड्रग रेगुलेटर से अनुमति लेकर 400 वॉलंटियर्स पर फेज-1 ट्रायल्स किए। इसमें वैक्सीन की सेफ्टी को परखा। फिर हमने 400 वॉलंटियर्स पर फेज-2 ट्रायल्स किए। इसमें वैक्सीन की इम्युनोजेनेसिटी को परखा। इन परिणामों के आधार पर ही हम आज देशभर के 22 से ज्यादा अस्पतालों में करीब 26 हजार वॉलंटियर्स पर फेज-3 ट्रायल्स कर रहे हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Coronavirus Vaccine COVAXIN; Suchitra Ella Interview | Bharat Biotech Joint Managing Director Speaks to Dainik Bhaskar


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2WZyqqx
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

Gardner Shines Again As GG Register Six-Wicket Win Over UPW In WPL 2025

Skipper Ashleigh Gardner starred with both bat and ball, leading Gujarat Giants to a comprehensive six-wicket win over UP Warriorz in their Women's Premier League match in Vadodara on Sunday. Gardner (2/39) claimed two wickets and then scored a stylish 32-ball 52, her second consecutive fifty, as Gujarat registered their first win of the third edition of the tournament, following a loss in the opening game to Royal Challengers Bengaluru. Opting to bowl, Gujarat produced a clinical effort with young spinner Priya Mishra returning impressive figures of 4-0-25-3. Skipper Gardner, Deandra Dottin (2/34), and Kashvee Gautam (1/15) also played key roles in restricting UPW to 143 for nine. Chasing 144 to win, the Giants were reduced to 22 for 2 with opener Beth Mooney and Dayalan Hemalata back in the pavilion after UPW introduced spin at both ends. However, Gardner produced an inspired knock, adding 55 runs off 42 balls with Laura Wolvaardt (22) to resurrect the innings. Gardner struck t...

'Not Taught About Sambhaji': Ex-Cricketer's 'Aurangzeb' Remarks Start Debate

The Vicky Kaushal-starrer movie 'Chhaava', based on the life and times of Chhatrapati Sambhaji Maharaj - the second ruler of the Maratha Confederacy and son of Chhatrapati Shivaji Maharaj, has received positive response from audience across the country. Apart from Vicky Kaushal as Chhatrapati Sambhaji Maharaj, Rashmika Mandanna (as Yesubai Bhonsale), Akshaye Khanna (as Aurangzeb), Ashutosh Rana (as Hambirrao Mohite), Diana Penty (as Zinat-un-Nissa Begum) and Divya Dutta (as Soyarabai) play prominent roles in the movie.   Former India cricket team star Aakash Chopra also liked the movie. He, however, raised some questions after watching the film.  "Watched Chhaava today. Incredible tale of bravery, selflessness and the sense of duty.  Genuine question—why were we not taught about Chattrapati Sambhaji Maharaj at all in school? Not even a mention anywhere!!!  We did learn though how Akbar was a great and fair emperor, and even have a very prominent road called Auran...