Skip to main content

किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: क्या मसला सुलझेगा? कोर्ट कानून निरस्त कर सकता है?

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। दरअसल, किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थीं। कुछ याचिकाओं में आंदोलन को खत्म करने की मांग की गई है, तो कई याचिकाओं में तीनों कानूनों को रद्द करने की। इन्हीं सब याचिकाओं पर अब चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी। इस मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी। सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है?

आइए एक-एक करके इस मामले को पूरी तरह समझते हैं।

सबसे पहले बात खेती से जुड़े उन 3 कानूनों की...
1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः
किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा।
2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं।
3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी।

दो वजहें, सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा किसानों का मसला?
पहलीः 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सड़कों पर जमा हैं। उनकी वजह से आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। इसको लेकर याचिकाएं दाखिल हुईं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोई हिंसा नहीं होती, तब तक विरोध करना किसानों का अधिकार है।

दूसरीः किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसको लेकर राजद से राज्यसभा सांसद मनोज झा, डीएमके से राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव ने याचिका लगाई और मांग की कि कोर्ट सरकार को तीनों कानून रद्द करने का आदेश दे।

अब बात सुप्रीम कोर्ट जाने पर क्या है सरकार और किसानों का रुख?
सरकार का रुखः
8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है। आप वहां बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे।
किसानों का रुखः किसान कोर्ट जाने के पक्ष में नहीं है। किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा, तब तक लड़ाई चलती रहेगी।

अब सवाल क्या सुप्रीम कोर्ट से मसला सुलझ सकता है?
किसान नेताओं का ये कहना है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से ही। कानून की संवैधानिकता को तो हमने पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। कोर्ट का काम सिर्फ इतना है कि कोई कानून संविधान के दायरे में है या नहीं, ये तय करना। हम खुद कोर्ट नहीं गए, इसलिए सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है, इससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम बस ये चाहते हैं कि सरकार ये तीनों कानून वापस ले, क्योंकि ये कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हित में हैं।

क्या सुप्रीम कोर्ट सरकार को कानून वापस लेने को कह सकती है?
इस बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि कानून संविधान के विरुद्ध है, संविधान की अवहेलना कर रहा है, तो वो कानून को निरस्त कर सकता है, लेकिन अगर संविधान के हिसाब से सही है, तो सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं करना चाहिए।

वहीं, हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर कोई संविधान के विरुद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट तो क्या, हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। फैजान बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट उस कानून को निरस्त कर सकता है।

अगर सुप्रीम कोर्ट में कानून निरस्त, तो सरकार के पास क्या रास्ता बचा?
इस बारे में फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई कानून निरस्त हो जाता है, तो सरकार चाहे तो दोबारा संसद से उस कानून को बना सकती है। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है।

वो बताते हैं कि 2014 में सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बनाया था। इसके लिए कानून भी आया था और संविधान में संशोधन भी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कानून और संशोधन दोनों को ही निरस्त कर दिया था। उसके बाद सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया।

आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर?
1.
खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा।
सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं।

2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके।
सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं।

3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी।
सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा।

4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो।
सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Kisan Andolan Hearing Explainer; Narendra Modi Govt Will Withdraw Farm Laws? | What Is Haryana Punjab Farmers Demand


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/38ythw4
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

Gardner Shines Again As GG Register Six-Wicket Win Over UPW In WPL 2025

Skipper Ashleigh Gardner starred with both bat and ball, leading Gujarat Giants to a comprehensive six-wicket win over UP Warriorz in their Women's Premier League match in Vadodara on Sunday. Gardner (2/39) claimed two wickets and then scored a stylish 32-ball 52, her second consecutive fifty, as Gujarat registered their first win of the third edition of the tournament, following a loss in the opening game to Royal Challengers Bengaluru. Opting to bowl, Gujarat produced a clinical effort with young spinner Priya Mishra returning impressive figures of 4-0-25-3. Skipper Gardner, Deandra Dottin (2/34), and Kashvee Gautam (1/15) also played key roles in restricting UPW to 143 for nine. Chasing 144 to win, the Giants were reduced to 22 for 2 with opener Beth Mooney and Dayalan Hemalata back in the pavilion after UPW introduced spin at both ends. However, Gardner produced an inspired knock, adding 55 runs off 42 balls with Laura Wolvaardt (22) to resurrect the innings. Gardner struck t...

Bad News Loading For Sanju Samson? Report Says Star Will Lose IPL Captaincy In Rajasthan Royals

After the Indian Premier League (IPL) 2025, rumours started doing the rounds that Sanju Samson, a long-time RR loyalist, had asked the franchise to release him ahead of the IPL 2026 mini-auction. source https://sports.ndtv.com/cricket/bad-news-loading-for-sanju-samson-report-says-star-will-lose-ipl-captaincy-in-rajasthan-royals-9205649#publisher=newsstand