Skip to main content

एक्सपर्ट्स की हिदायत- लॉकडाउन में घर से बाहर निकलने को चैलेंज न मानें; युवा कतई न सोचें कि उन्हें कुछ नहीं होगा, क्योंकि वे जवान हैं

सरकार ने 25 मार्च को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। इस दौरान दूध, दवाई जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई जारी रखने के निर्देश थे। ऐसे में कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के एक शख्स कावीडियो वायरल हुआथा। वीडियो में दिख रहा युवक लॉकडाउन में बाहर घूमने के लिए फर्जी दूधवाला बनकर निकला था। हालांकि पुलिस ने जब कड़ाई से पूछा तो उसने सच बता दिया।

राजधानी दिल्ली स्थित लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वुमन के साइकोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर कनिका के आहूजा का मानना है किजिन लोगों में रिस्कटेकिंग बिहेवियर होता है, वो ऐसा करते हैं। यानी ऐसे लोग डर की परवाह नहीं करते।इस तरह के काम करने वालों के मन में हमेशा कुछ थ्रिल करने की इच्छा रहती है। कुछ एक्सपर्ट्स जिज्ञासा भी इसका कारण बताते हैं।

एक्सपर्ट्स हिदायत देते हैं किलॉकडाउन में घर से बाहर निकलने को चैलेंज की तरह कतई न लें। खासकर,युवा यह न सोचें कि उन्हें कुछ नहीं होगा, क्योंकि वे जवान हैं।

करीब दो महीने से चल रहे इस लॉकडाउन के दौरान कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं थीं, जहां लोग न तो मास्क पहन रहेऔर न ही सोशल डिस्टेंसिंगका पालन कर रहे।ऐसे में सवाल उठता है कितमाम कोशिशों और अलर्ट के बाद भी लोग इन सावधानियों को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हैं?एक्सपर्ट्स बता रहे हैं, इसके पीछे की प्रमुखवजह।

कुछ लोग क्यों नहीं पहन रहे मास्क ?
भोपाल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर पूनम सिंह बताती हैं कि नियमों का पालन नहीं करने वाले समूह में बच्चे और यंग एडल्ट्स शामिल हैं। यह लोग रिस्क एसेसमेंट कर रहे हैं। मीडिया में आ रहीं खबरों के मुताबिक इस वायरस से सबसे ज्यादा जोखिम में गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग हैं। ऐसे में इन लोगों को लगता है किहमें ज्यादा खतरा नहीं है,इसलिए हम कुछ चीजें कर सकते हैं। वहीं, बागी रवैये वाले बच्चे विरोध के बाद भी घर से निकल रहे हैं। उन्हें ऐसा लगता है किवे खुद पर काबू कर हालात पर नियंत्रण कर पाएंगे। वे मानते हैं कि, ऐसा करने पर उन्हें कुछ नहीं होगा।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालननहीं करने के पीछे क्या कारण हैं?
डॉक्टर आहूजा बताती हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मध्यम या उच्च वर्ग कर पा रहा है, क्योंकि इसे अपनाना कई लोगों की हैसियत से परे है। कई बार घर में 6 फीट की दूरी बनाना कई बार मुमकिन नहीं है, क्योंकि कई घरों में जगह कम और लोग ज्यादा होते हैं। लॉकडाउन में घर बैठने का मतलब है, आपके पास घर या संसाधन मौजूद होना।'

डॉक्टर आहूजा बताती हैं कि एक तबका हैंड वॉश और साफ पानी जैसी चीजों से भी वंचित है। आपको घर से निडर होकर बाहर निकलना होगा और अपने आसपास डिफेंस मैकेनिज्म बनाना होगा। जब आपके अंदर अस वर्सेज देम वाली फीलिंग आ जाती है और आप सोचते हैं कि इससे होने वाला नुकसान मैं क्यों उठाऊं, जैसे इकोनॉमिक और सोशल लॉस। आप खुद को उन लोगों से अलग कर लेते हैं, जिन्हें कोविड से ज्यादा खतरा है।

डॉक्टर आहूजा के मुताबिक लोगों के दिमाग में अगर मरने का डर होगा तो यह नहीं करेंगे। इसे रोकने के लिए जागरूकता लानी होगी। क्योंकि आप बाहर से आकर घर वालों को भी खतरे में डाल सकते हैं।

बिहेवियरल फैटीग का शिकार हो रहे हैं लोग

  • डॉक्टर आहूजा बताती हैं किलॉकडाउन के शुरुआती दौर का पालन बड़ी ही सख्ती के साथ हुआ था। लोग कई चीजों को लेकर डरे हुए होने के साथ-साथ उत्साहित भी थे। लंबे समय तक घर में रहकर लोग बिहेवियरल फैटीग का शिकार हो रहे हैं। ऐसे हालात में लोग काफी वक्त से चले आ रहे अपने रुटीन से थक जाते हैं और उन्हें अपनी प्रैक्टिसेज का फायदा नहीं मिलता।
  • उदाहरण के लिए लोग सफाई को लेकर काफी सजग थे, लेकिन समय के साथ जब उन्होंने देखा कि इसका परिणाम कुछ खास नहीं मिल रहा है, तो वे थक गए थे, क्योंकि वे उन लोगों को भी देख रहे हैं, जो सावधानियों को लेकर गंभीर नहीं थे, लेकिन उनकी हालत भी हमारी ही तरह है।

लोग जानबूझ बाहर क्यों निकल रहे हैं?

  • रिस्पेक्ट: लॉकडाउन के दौरान घर से बाहर निकलने को लोग चैलेंज की तरह ले रहे हैं। लोगों के मन में खासकर बच्चों के बीच यह धारणा बन चुकी है किअगर वे बाहर निकलेंगे तो उनकी सोशल रिस्पेकट बढ़ेगी। वे यह कह सकेंगे कि जब कोई ऐसा नहीं कर पा रहा, तब वे ऐसा कर रहे हैं।
  • घर पर बिगड़ते हालात: घर पर लगातार रहने से हालात बिगड़ रहे हैं। पाबंदियां लगने के कारण लोग घर से बाहर निकल रहे हैं। घर में दबाव बन रहा है। इसलिए रिस्क लेकर भी घर से बाहर निकल रहे हैं।
  • कुछ नहीं होगा: जो लोग बाहर निकल रहे हैं या साथ में स्मोक शेयर कर रहे हैं, वो मान चुके हैं किहमें कुछ नहीं होगा और अगर कुछ हो भी गया तो खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि हम जवान हैं।

लॉकडाउन के बीच लोगरीति-रिवाज को क्यों इतनातवज्जों दे रहे हैं?

  • दुनियाभर की कई लैब्स में कोविड 19 को हराने के लिए वैक्सीन की खोज की जा रही है। साइंटिस्ट दावा कर रहे हैं कि कोरोना की वैक्सीन सितंबर के अंत तक आ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह इतिहास का सबसे तेज वैक्सीन प्रोग्राम होगा। दवा न मिलने की स्थिति में कोरोना से बचने का उपाय है मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग करना।
  • सभी चेतावनियों के बाद भी लोग शादी, जन्मदिन, सालगिरह जैसे कई आयोजन कर रहे हैं और इसमें भीड़ भी शामिल हो रही है। डॉक्टर सिंह बताती हैं किघर वालों, समाज के दबाव और रूढ़ीवादी सोच के कारण रीति रिवाज को मानना जरूरी हो रहा है। लोगों के बीच यह विचार विकसित नहीं हुए हैं कि इन सब चीजों के बारे में गहनता से सोचें।
  • डॉक्टर सिंह कहती हैं कि सोशल कस्टम इसलिए फॉलो किए जा रहे हैं, ताकि लोग हमारे बारे में गलत न सोचें। लोग इस मौके को अपने ताकत के प्रदर्शन की तरह भी उपयोग कर रहे हैं। वे इस दौरान कई दावे कर खुद को बड़ा साबित करने में लगे हुए हैं। साथ ही लोग समाज के डर के कारण ही अपनी ट्रेवल हिस्ट्री भी बताने में हिचक रहे हैं।
  • डॉक्टर सिंह के मुताबिक, लोगों को लग रहा है कि अगर वे अपनी बीमारी के बारे में किसी को बता देंगे, तो लोग उन्हें रिजेक्ट कर देंगे। आमतौर पर ऐसा देखने में भी आ रहा है। कोई भी संक्रमण को अपनी मर्जी से तो नहीं लेता है।

फ्रंटलाइन वर्कर्स कोलोग गुस्से का शिकार क्यों बना रहे?

  • कुछ वक्त पहले देश के कई हिस्सों से डॉक्टर और पुलिस समेत कई फ्रंटलाइन वर्कर्स पर हमले की खबरें आईं थीं। लोगों ने सैंपल लेने पहुंची स्वास्थ्य कर्मियों की टीम पर जानलेवा हमले किए। वहीं, कई जगहों पर सुरक्षा इंतजामों नियमों को पालन करवाने में लगे पुलिसकर्मी भी इन हमलों का शिकार हुए। डॉक्टर सिंह इसके पीछे का कारण अफवाहों को बताती हैं।
  • डॉक्टर पूनसिंह के मुताबिकलोअर सोशियो इकोनॉमिक वर्ग इस तरह की हरकतें कर रहे हैं। लोग पढ़े-लिखे नहीं होने के कारण दूसरों की बातों में आकर ऐसा कर रहे हैं। लोगों को डर है कि, पता नहीं ये हमें कहां लेकर जाएंगे या क्या खिलाएंगे। जबकि डॉक्टर आहूजा पुलिसकर्मियों के साथ हो रही बदसलूकी का जिम्मेदार भड़ास को मानती हैं।
  • डॉक्टर आहूजा ने कहती हैं कि नियम नहीं मानने पर पुलिसकर्मी फटकार लगाते हैं तो लोग तब प्रतिक्रिया देते हैं जब वे समूह में होते हैं। अकेले में इनका बर्ताव बदल जाता है। उन्होंने कहा कि, ये लोग कोविड पर गुस्सा नहीं निकाल पा रहे हैं, ऐसे में खुद को तसल्ली देने और आत्मविश्वास दिलाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

शराब के लिए लोग लाइन में क्याें लग रहे?

  • लॉकडाउन 3.0 में सरकार ने रेवेन्यू बढ़ाने के लिए शराब की दुकानें खोलने का फैसला किया था। इस दौरान महीनों से बिना शराब के चल रहे शौकीनों ने राजधानी दिल्ली में दुकान के बाहर करीब 1 किमी लंबी लाइन लगा ली। हालांकि इस लाइन में जो केवल एक वर्ग नजर आ रहा था, वह था शराब के शौकीनों का।
  • डॉक्टर पूनमसिंह कहती हैं कि इसमें सबसे बड़ी परेशानी है लत, जो लोग एडिक्टेड हैं वे डर की परवाह नहीं करते हैं। यह एक तरह का डिसॉर्डर है। इससे जूझ रहे लोग कोई भी रिस्क लेने के लिए तैयार हैं। उन्हें किसी भी तरह से इसे हासिल करना है। इसके अलाव कुछ लोग कुछ लोगों में एंटी सोशल पर्सानालिटी होती है और उन्हें नियम तोड़ने में मजा आता है। जो भी नियम बनाए जाएंगे वे तोड़ेंगे।

घर में रहकरदिमाग कोशांत कैसे रखें?

  • फिजीकल एक्सरसाइज: घर में मूवमेंट जरूर करते रहें। अवसाद से ग्रस्त लोगों में दो लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें अकेले रहना और एक जगह पर बने रहना शामिल है। पूरे दिन घर में बंद न रहे और सनलाइट लें।
  • लोगों से बातचीत करें: घर में रहने के दौरान लोगों से बातचीत करें। इसके लिए फोन कॉल से ज्यादा अच्छा है वीडियो कॉल पर बात करना। क्योंकि इसमें आप सामने वाले का चेहरा देखते हैं। इससे आपको और दूसरों को तसल्ली मिलती है।
  • हेल्दी टच: भारत में टच का बहुत महत्व है। हम आमतौर में भी घर में एक दूसरे को प्यार से, आशीर्वाद लेने में, आदर करने में छूते हैं। लेकिन कोरोनावायरस के कारण यह एकदम बंद हो गया है। टच बहुत जरूरी है। कम से कम घरवालों के साथ शारीरिक तौर पर व्यक्त करें। आप गलें मिल सकते हैं, हाथ मिला सकते हैं।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
India Coronavirus Lockdown Updates; Fear of society more than COVID-19


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3ewk6wz
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

156.7 Kmph Sensation Awaits India Debut, Bangladesh Start Life After Shakib

Pace sensation Mayank Yadav is expected to unleash his raw speed while the absence of India's T20 regulars will provide another opportunity to the fringe players in the three-match series against Bangladesh, beginning here Sunday. Having consistently generated speed in excess of 150kmph in his maiden IPL earlier this year, Mayank had drawn the attention of the cricketing world before a side strain ruled him out of the tournament. Usually, one has to prove fitness in domestic cricket to be considered for national selection but the 22-year-old has been fast-tracked into the side considering his special talent. The series against Bangladesh will be a test of his fitness and temperament. It is yet to be figured if he can display the same accuracy and control that he exhibited in the IPL. Besides Mayank, fellow Delhi pacer Harshit Rana and all-rounder Nitish Kumar Reddy could also make their India debut over the course of the series. Nitish was picked for the Zimbabwe tour post the T...

PCB Not Happy With Pak Star Over Social Media Post On Babar Snub: Report

The Pakistan Cricket Board (PCB) is not pleased that Fakhar Zaman questioned the selection panel's decision to sideline Babar Azam from the Test side. The panel dropped former captain Babar Azam when they announced the squad for the remaining two Tests against England in Multan and Rawalpindi. Zaman took to X to question the decision, inviting the ire of the PCB. "The top board officials are not pleased with the tweet sent out by Fakhar and relevant persons are having a word with him about it," a well-informed PCB source said. "It's concerning to hear suggestions about dropping Babar Azam. India didn't bench Virat Kohli during his rough stretch between 2020 and 2023, when he averaged 19.33, 28.21, and 26.50, respectively. "If we are considering sidelining our premier batsman, arguably the best Pakistan has ever produced, it could send a deeply negative message across the team. There is still time to avoid pressing the panic button; we should focus on sa...

Shakib Al Hasan's Fans Attacked During Protest In Dhaka Amid Tight Security

A group of people attacked Shakib Al Hasan's fans during a protest in Dhaka on Sunday amid tight security, an eye witness said. Shakib Al Hasan wanted to retire from Test cricket by playing the series against South Africa in Bangladesh. The BCB responded positively to his request and included him in the squad against South Africa. But he was advised by the Bangladesh government not to enter the country due to security reasons while in transit through Dubai on his way back to Bangladesh from the US. Fans had been protesting outside the cricket stadium in Mirpur for several days to protest against Shakib's ban from playing the farewell Test in Bangladesh. On Sunday, a group of people suddenly attacked them with sticks. At that time, the army and law enforcement personnel who were there brought the situation under control by blowing whistles. Notably, Shakib officially joined the Awami League party in 2023. He filed the nomination from the Magura-1 parliamentary seat as an Awami...